आज हमारी कहानी के पात्र हैं स्प्रिंग पर टिके सर वाले खिलोने. आप सब इसे बचपन से अब तक देखते आ रहे होंगे.
स्प्रिंग वाले बूढ़े और बुढ़िया. जरा सा स्प्रिंग हिला दो और देखो कमाल. सच में कभी आपने देखा हैं हैं कितनी बाल सुलभ होती हैं इनकी मुस्कान. बूढ़े और बुढ़िया का जोड़ा हमारे लखनऊ के त्रिवेनीनगर में रहता था . साथ में सुबह मोर्निंग वाक् और शोपिंग करते थे . बेटे और बेटिया सभी बाहर हैं.. मेरा उनके घर आना जाना हैं. उनकी छोटी बेटी से जान पहचान थी. अब छोटी बेटी बंगलौर में settle हैं.
अब कहानी आगे बढ़ाते हैं. अक्सर मैं उनके घर जाता तो पूछता की कोई काम तो नहीं लेकिन वो बेटा एक्टिव रहने के लिए अपना काम खुद करना चाहिए बस तुम आ जाते हो तस्सली हो जाती हैं. एक बार शर्मा अंकल फीवर में थे और मैं पहुच गया और डॉक्टर के पास ले गया आंटी बहुत परेशान थी कहने लगी बुढापे में अकेलापन बहुत खलता हैं. मैं १५ दिन में एक बार हालचाल जरूर ले लेता था. बात पिछले साल की हैं. शर्मा अंकल हम उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं का दिवाली पर फ़ोन आया की बेटा बंटू आ रहा हैं अब वो लखनऊ में tcs में ज्वाइन करेगा.बहू भी लखनऊ में रहेगी. कुछ दिनों बाद बेटा बहू आ गए और शर्मा अंकल आंटी के दिन ख़ुशी से कटने लगे. decmember में जब शर्मा अंकल से मिलने गया तो बोले बेटा बाहर जाना चाहता हैं. क्या करूं. हमने पूछा कहाँ. वो बोले दुबई. मैंने बंटू से कहा वह तो मंदी हैं. लेकिन वो बोला सब कुछ final हैं. खैर शर्मा अंकल के बेटा बहू फिर चले गए. बूढ़े और बुढ़िया के जीवन में फिर से एकाकीपन आ गया. मैंने बहुत करीब से महसूस किया हैं बूढ़े और बुढ़िया का दर्द. हम और आप में से तरक्की के लिए घर छोड़ कर जाने में जरा भी नहीं सोचते लेकिन माँ बाप की आँखों से नींद चली जाती हैं. अक्सर मैं उनको कभी सब्जी लेते तो कभी टहलते देखा करता था. कुछ दिनों से नुझे भी समय नहीं मिला और सच कहूं तो धयान भी नहीं दिया. दो महीने बीत गए किसी ने बताया की शर्मा जी तो कई दिनों से अस्पताल में हैं उनकी कमर की हड्डी टूट गयी हैं. मैं अस्पताल पंहुचा तो वो बोले बेटा इस बार आने में तुमने देर कर दी तुम्हारी आंटी तो अब नहीं रही. बंटू भी नहीं आ पाया या कह लो की आया ही नहीं . मै तो अवाक रह गया. बातचीत में पता चला की आंटी की मौत तो सड़क हादसे में हुई थी जब वो सड़क पार कर रही थी. इस घटना का पता शर्मा जी को भी बाद में लग पाया. आंटी उन्ही की दवा लेने मार्केट आई थी. जब मैंने घर में बताया तो मम्मी बहुत नाराज हुई. 15 मार्च को शर्मा जी का फ़ोन आया वो बोले बेटा बंटू आ रहा हैं. दुबई में उसकी नौकरी छूट गए हैं. मैंने महसूस किया की अंकल की आवाज में ख़ुशी नहीं थी. वो आगे बोले बंटू के लिए कमरा खोज दो. मै जितने दिन हूँ अकेले ही तुम्हारी आंटी की यादो के साथ अपने मकान में रहना चाहता हूँ.बस. मैं उनके घर कल पहुचा तो देखा की वो बिलकुल शांत हैं. मुझे देख वो उठे और बोले बेटा तरक्की किसे कहते हैं. क्या ऐसे ही आगे बड़ा जाता हैं. अपने बेटे से बेहद नाराज. मेरी नज़र सामने की अलमारी पर पड़ी वहा स्प्रिंग वाले बूढ़े और बुढ़िया रखे थे. खिलोनो की स्प्रिंग खराब हो चुकी थी सर लटक रहे थे लेकिन मुस्कराहट कायम थी. इधर शर्मा जी भी इन खिलोनो की तरह थे जोड़ा टूट गया था और चेहरे की मुस्कराहट उजड़ चुकी थी. जाते जाते अंकल बोले तुम ऐसी तरक्की मत कर लेना की अपने माँ बाप को छोड़ देना और आते जाते बने रहना पता नहीं ये खिलौना कब टूट जाए. सुन कर मैं वहा से चला आया. क्रमश...
Sunday, March 28, 2010
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kya baat hai kamleshji...daily post dali jaa rahi hai...khushi hui ki ap bhi blog pe aa gaye...aise hi hauk ke dete rahiye performance...kabhi fursat miley to bhai ka blog ajayendra.blogspot.com bhi ghoom aayiyega...tk care
ReplyDeletespring wale khilaune.......ab bujurg khilaune hi rah gaye hain? aur ham khelne wale .......
ReplyDeletelekin shayad ham bhool gaye ki tamasha khud na ban jao tamasha dekhne walon...
well done..aise najuk mudde uthate rahiye...best of luck
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें