Saturday, March 27, 2010

मीडिया के भांड

 जोकर तो आपने देखे ही होंगे . जोकर को जरा हकीकत का रूप देते हैं.यह कहानी नहीं आज का reality शो हैं. पहले जमाने में राजा के दरबार में मनोरंजन करने के लिए भांड रखे जाते थे. लखनऊ में तो एक मोहल्ले का नाम ही भाँड़ो टोला हैं. वैसे तो हर सेक्टर में जोकर या कहें भांड मौजूद हैं लेकिन मीडिया में इनकी भरमार हैं. अधिकतर  पत्रकार अपने बॉस के लिए भांड बनने की प्रतियोगिता में शामिल हैं. भांड चैम्पियन  हमारे एक senior जो की महिला संपादक के साथ काम कर रहे  थे अचानक जब वो पुरुष संपादक के साथ जुड़े तो कई दिन तक उन्हें  एस मैंम कहते रहे. इस बात का खुलासा खुद पुरुष संपादक ने किया. एस बॉस का रट्टा लगाने वाले यह महोदय ऑफिस में अजीबोगरीब हरकत करने के लिए दूर दूर तक कुख्यात हैं. वो काम में कम काम लगाने में जयादा जुटे रहते हैं. सहयोगियो के अच्छे काम का क्रेडिट लेने में इनका कोई जोड़ नहीं. गलती पर तो ये दूसरो को टोपी पहनाने  में माहिर हैं. बॉस और लडकियों के आगे बिलकुल बच्चे बन जायेंगे. पचास पार के बाद भी........ मै जब भी कोई जोकर देखता हूँ उन्हें याद किये बिना नहीं रहता.खैर थोडा सा उनका  जिक्र जरूरी था. मीडिया में उनके जैसे  कई जोकर या भांड हैं जो काम करने वालो को आगे नहीं बढ़ने देते हैं. और बॉस... उनको तो ऐसे ही जोकर चाहिए जो झुकने को कहा जाए तो वो लेट जाएँ. ऐसे बहुतेरे भांड में से एक और शख्श हैं जो बॉस की हर अदा पर फ़िदा रहते हैं. बॉस के मन में कोई भी विचार उनके दिमाग रुपी एंटिना से ही होकर गुजरता हैं. बॉस के मुह से निकले किसी  भी शब्द को वो अमृतवचन बताने से नहीं चूकते और साथ में यह भी जरूर कहते की  अरे यही तो मै भी सोच रहा था. आप का भी ऐसे भाँड़ो और जोकर से पाला जरूर पड़ा होगा. हमारे  साथ आये और ऐसे मीडिया के जोकर और भाँड़ो को बेनकाब जरूर करे.

1 comment:

  1. kya baat hai, aaj to har media sansthan me aise hi bhandon ki fauj khadi hai. sampadak inhe jokar ki tarah nachate hain aur ye nach-nach kar yes-boss yes-boss ki charan bandana karte hain. in bhandon ke karan hi imandari se kam kanre wale kabhi upar nahi uth pate hain.

    ReplyDelete